इंटरसेक्शनलधर्म करवा चौथ का ‘कड़वा-हिस्सा’ है ये अनछुए पहलू

करवा चौथ का ‘कड़वा-हिस्सा’ है ये अनछुए पहलू

आज के दौर में करवा चौथ के त्यौहार को आधुनिक ढकोसलों से इस कदर घेरा गया है कि अब यह त्यौहार से ज्यादा फैशन के तौर पर जाना जाने लगा है|

भारत में करवा चौथ का त्यौहार हर शादीशुदा महिला के लिए बेहद ख़ास माना जाता है| यों तो करवा चौथ का त्यौहार भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मुख्य रूप से मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अटल सुहाग, पति की दीर्घ आयु, स्वास्थ्य एवं मंगलकामना के लिए यह व्रत करती हैं और वामन पुराण में करवा चौथ व्रत का वर्णन किया गया है। आज हम चर्चा करने वाले है करवा चौथ से जुड़े अलग-अलग पहलुओं की जिनपर फैशन और आधुनिकता के इस दौर में ज्यादा बात नहीं की जाती या यों कहें कि इनपर बात करना लोगों को रास नहीं आता है| क्योंकि कहीं-न-कहीं ये करवा चौथ के कड़वे पहलू को उजागर करती है|

क्या करें करवा चौथ  को मनाने में असमर्थ महिलाएं?

चूँकि इस त्यौहार को सिर्फ महिलाओं के लिए बनाया गया है जिनके लिए कुछ ख़ास शर्तें भी अप्रत्यक्ष रूप से तय की गयी है| ऐसे में सवाल उठता है कि

1- जिस औरत का पति उससे ज़बरन सेक्स करता हो वो करवा चौथ पर क्या करे?

2- विधवा महिलायें करवा चौथ पर क्या करें?

3- कम दहेज़ लाने पर आये दिन ताने सुनने वाली महिला करवा चौथ पर क्या करे?

4- आये दिन शराबी पति से पिटने वाली स्त्री क्या करे?

5- बेटा पैदा करने का दबाव झेलती स्त्री करवा चौथ पर क्या करे?

6- ग़रीबी, शारीरिक विकलांगता इत्यादि की वजह से जिनकी शादियाँ ही नहीं हो सकीं वो अविवाहित महिलायें क्या करें इस करवा चौथ क्या करें?

7- खून और कैल्शियम की कमी से जूझती स्त्री क्या करे?

आखिर ये भी तो हमारे ही समाज की महिलाएं है जो हमारी ही तरह समान अवसर की हकदार है| पर किसी न किसी कारणवश वे करवा चौथ को मनाने के लिए तय की गयी शर्तों पर खरी नहीं उतरती तो ऐसे में इन महिलाओं का करवा चौथ जैसे त्यौहार के दिन क्या करना चाहिए? और हमें ऐसी तमाम समस्याओं से जूझ रही महिलाओं के लिए क्या करना चाहिए? ये अपने आप में एक बड़ा सवाल बन जाता है|

एकदिन के व्रत से आखिर कैसे होगी पति की लंबी उम्र?

आस्था के चश्मे से देखें तो किसी भी बात पर विश्वास ईश्वर के नामपर किया जा सकता है| लेकिन अगर तर्क के आधार पर देखें तो ये बात किसी भी लिहाज से सही नहीं लगती कि साल में एकदिन दिनभर भूखे-प्यासे रहने से पति की उम्र कैसे बढ़ सकती है? फिल्म अभिनेत्री व लेखिका ट्विंकल खन्ना ने भी एकबार करवा चौथ के इसी पहलू पर बात उठाई थी, लेकिन आस्था के सामने अंधभक्तों ने उन्हें सोशल मीडिया में ट्राल करना शुरू कर दिया था| चूँकि ये आस्था और तर्क का मुद्दा है जो कि पूरी तरह आपके नजरिए पर निर्भर करता है| पर इन सबके बावजूद हमें इस बात की समझ होनी चाहिए कि आस्था कभी-भी अंधभक्ति में तब्दील न हो| विश्वास करना अच्छा है लेकिन तर्कों के साथ|

आधुनिक ढकोसलों से कड़वा होता ‘करवा चौथ’

ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ व्रत को रखने वाली स्त्रियों को प्रात:काल स्नान आदि के बाद आचमन करके पति, पुत्र-पौत्र तथा सुख-सौभाग्य की इच्छा का संकल्प लेकर इस व्रत को करना चाहिए।

व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करने का विधान है। स्त्रियां चंद्रोदय के बाद चंद्रमा के दर्शन कर अर्ध्य देकर ही जल-भोजन ग्रहण करती हैं। पूजा के बाद तांबे या मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री जैसे- कंघी, शीशा, सिन्दूर, चूड़ियां, रिबन व रुपया रखकर दान करना चाहिए और सास के पांव छूकर फल, मेवा व सुहाग की सारी सामग्री उन्हें देनी चाहिए। पुराणों में करवा चौथ से जुड़ी इन ज़रूरी बातों का जिक्र मिलता है, जिनका पालन करवा चौथ करने वाली महिलाओं को करना चाहिए|

अब इसे विडंबना कहें या दुर्भाग्य कि हम गर्व के साथ हमारे पुराणों में बताये गये त्योहारों को तो मानते है पर उनकी विधियों को ढ़कोसला बताते है| अगर बात सिर्फ इतने के साथ तर्क पर खत्म होती शायद ये उतना बुरा नहीं होता पर इन सबके विपरीत हम आधुनिकता-बाज़ारवादी सोच से जुड़ी तमाम नई रस्मों को जोड़कर ढकोसलों की ऐसी दिवार बनाते है जिसमें इंसान शान-शौकत के नामपर अपना दम घोटने को मजबूर हो जाता है और इन सबसे करवा चौथ भी अछूता नहीं रहा|

करवा चौथ पर सौन्दर्य प्रसाधन से जुड़ी चीज़ों की मांग में अच्छी-खासी बढ़त होती है| चाहे वो ब्यूटी पार्लर में ‘सस्ते-मंहगें फेशियल पैकेज’ हो या फिर मॉल में मेहँदी लगाने वालों की दुकान| करवा चौथ पर स्लिम दिखने का डाइट चार्ट हो या मंहगी-स्टाइलिश साड़ी-लहंगों-ड्रेस मटेरियल की डिमांड| वहीं दूसरी ओर करवा चौथ में मंहगें गिफ्ट देने के चलन को खूब बढ़ावा दिया गया है और अब शहरों में तो ज्यादातर महिलाएं अपना व्रत किसी अच्छे-मंहगें रेस्टोरेंट में तोड़ना पसंद करती है| ऐसे और भी कई सारी दिखावटी तत्वों ने करवा चौथ पर अच्छी पैठ जमाकर इसकी कड़वाहट में खूब इजाफा किया है|

फैशन के दौर में मार खाता इमोशन

करवा चौथ के त्यौहार को जितना ज्यादा इससे जुड़ी मान्यताओं ने बढ़ावा नहीं दिया उससे कई गुना ज्यादा बढ़ावा दिया है – टीवी सीरियल और फिल्मों ने, जिससे करवा चौथ सीधे तौर पर फैशन से जुड़ता चला गया है|

आज जब हम गूगल पर करवा चौथ सर्च करते है तो रिजल्ट में हम इसकी मान्यता-पौराणिकता से पहले करवा चौथ के दिन खूबसूरत दिखने के ब्यूटी-टिप्स, करवा चौथ के लिए बेस्ट हिंदी सांग और करवा चौथ के लिए बेस्ट गिफ्ट से ऑप्शन पहले पाते है न की इसके इतिहास या पौराणिकता संबंधित जानकारी| इससे साफ़ है कि करवा चौथ बड़ी तेज़ी से त्यौहार से ज्यादा फैशन बनता जा रहा है, जो अब सिर्फ शादीशुदा महिलाओं तक सीमित नहीं रहा बल्कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली लड़कियां भी इसे फैशन के तौर पर फॉलो करती है|

करवा चौथ के इसी फैशनेबल एंगल पर ध्यान देने की ज़रूरत है| हमें समझना होगा कि प्यार को दिखाने के लिए किसी व्रत की ज़रूरत नहीं होती है| बल्कि प्यार को हम एक-दूसरे के प्रति समान अवसर व अधिकार का सम्मन्न करके भी प्रदर्शित कर सकते है| साथ ही, हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि जिन रिश्तों या विश्वासों की बुनियाद दिखावे से हो या जहाँ दिखावा करना-किसी नियम-शर्त-रस्म को मानना ज़रूरी हो वास्तव में वो खुद को कैद करने का एक जामा होता है| इन बातों के आधार पर ये कहना कहीं से भी गलत नहीं होगा कि आज के दौर में करवा चौथ के त्यौहार को आधुनिक ढकोसलों से इस कदर घेरा गया है कि अब यह त्यौहार से ज्यादा फैशन के तौर पर जाना जाने लगा है|

मैं ये नहीं कहती कि करवा चौथ मनाना गलत है| पर ये ज़रूर कहूंगी कि सिर्फ रस्म-रिवाज के नामपर इसे ढ़ोना पूरी तरह से गलत है| साथ ही, पारंपरिक ढकोसलों से निकलकर आधुनिक फैशन के नामपर नये ढकोसलों में फंसना भी सही नहीं| बाकी आप बेहद समझदार है| आशा है इसबार करवा चौथ को आप आडम्बर से कड़वा नहीं होने देंगी|

तस्वीर साभार: free pressjournal

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