Together For Equality, Dignity, Safety, Freedom And Employment!
This Women’s Day we come together to celebrate our solidarities and our resistance to the brazen patriarchal, casteist, communal and regressive forces that are operating with utter impunity in the country. Together we reaffirm our commitment to building a violence-free, just society.
Together we confront many manifestations of violence – from domestic violence to sexual assaults at home, in public spaces, workplaces, institutions or the conflict areas to communal and caste-based violence to violence faced by women with disabilities, sex workers and of marginalized sexualities. There is suppression of dissent and resistance in the name of development, national security and nationalism; denial of our Constitutionally granted freedoms and rights – be it Dalit women resisting the casteist forces, university students struggling for a culture of free debate, women in conflict zones fighting the repressive State; or the women from Haryana to Nagaland whose are losing ground in their fight for their place in Panchayati Raj Law and Urban Local Bodies.We stand in solidarity with the fight of women in Chhattisgarh, for the deaths and injury caused
We stand in solidarity with the fight of women in Chhattisgarh, for the deaths and injury caused during sterilization and the acquittal of those responsible! We fight with tribals facing brutal violence by the state in the name of development.Unequal wages, harassment at workplace,
Unequal wages, harassment at workplace, the absence of maternity benefits, no social security and declining employment opportunities for women are challenges all women face, especially those in the unorganized sector. Problems further aggravated by the ill- famed ‘demonetization drive’ of the government that has severely impacted small scale businesses, the poor and working class people. And caste-based occupations like manual scavenging continue even after a legal ban on manual scavenging.
While it all looks bleak, we take strength from our collective gains, the strength of our solidarities across many struggles for justice and equality.
Together we demand
- Equality before the law for women from all communities.
- Constitutionally granted 33% representation of women without threat or intimidation.
- Development policies that create more employment, better working conditions, less displacement and an end to development-related violence.
- The creation and implementation of more effective policies for the health and education of women and young girls.
- Implementation of the ban on manual scavenging, mechanization of processes.
- Freedom from fear for minorities and marginalized communities, and women with disabilities.
Programme Details
We gather outside Gate 3 and 4 of Rajiv Chowk metro station at 11 AM and move together towards Parliament Street, New Delhi.
Come one, come all! Bring your placards, your buland awaaz, your daphalis and your songs.
**Nari Mukti Zindabad** **Nari Ekta Zindabad**
Hashtag: #8MarDelhi17. RSVP on the Facebook event page here.
Organisers
Bhor Foundation, Feminism in India, Jagori, Sangat, Sama, TARSHI, Saheli, Nirantar, AIDWA, AIPWA, Joint Women’s Programme, Kamkaji Mahila Samanvay Samiti (CITU), Nari Shakti Manch, NFIW, Purogami Mahila Sangathan, Society for Labour and Development (SLD), Stree Mukti Sangathan, Swastika Mahila Samiti, YWCA, Action India, Azad Foundation, Domestic Workers Union, National Alliance of People’s Movements, Delhi Solidarity Group, Solidarity and Action Against The HIV Infection in India (SAATHII), RAHI Foundation, Shades Of Happiness Foundation.
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
समानता, सुरक्षा, गरिमा, रोज़गार, अधिकार
हर साल की तरह इस बार भी हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हुए, महिलाओं के निरंतर और जुझारू संघर्षों को याद करते हैं और बेहतर ज़िन्दगी के लिए संघर्ष को जारी रखने का ऐलान करते हैं. हम दुनिया की सभी महिलाओं के संघर्षों के साथ एकजुटता का भी इज़हार करते हैं जो आज के दौर के विषम हालात का मुकाबला कर रही हैं.
- अपने मुल्क में ही देखें तो हम पायेंगे कि महिलाओं व बच्चियों पर हिंसा की वारदातें बढती जा रही रही हैं – चाहे वह घरेलू हिंसा हो, कार्यस्थल पर, सार्वजनिक जगहों पर या संस्थागत हो; या विक्लांग महिला पर हो जो सबसे ज्यादा कमज़ोर होती है. हम हर प्रकार की हिंसा और भेदभाव के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करते हैं. लाज़िम है कि सार्वजनिक स्थल सुरक्षित भी हों और सुगम्य भी.
- महिलाओं को संसद व विधान सभाओं में 33% आरक्षण तो दूर, उनके रहे सहे हक को भी कुचला जा रहा है – हरियाणा में पंचायती राज कानून में संशोधन करके जिन्हें चुनावी प्रक्रिया से वंचित किया गया उनमे सबसे अधिक महिलायें ही हैं; नागालैंड में कानून का खुले आम उल्लंघन करके नगर निगम चुनाव में महिलाओं के चुनाव लड़ने के अधिकार के खिलाफ ही बवाल मचा हुआ है. हम महिलाओं के सभी स्तरों पर आरक्षण की अपनी मांग को दोहराते हैं.
- देश में साम्प्रदायिक ताक़तें हिन्दुत्व के एजेंडे की ओर अग्रसर है और देश में नफरत की आग भड़का रही हैं. हम ऐलान करते हैं कि हिन्दुस्तान में जनवाद की रक्षा करेंगे. चाहे वह कश्मीर हो, उत्तर-पूर्व हो या छत्तीसगढ़, महिलाओं पर शासकीय दमन हद पार कर चुका है, यहाँ तक कि महिला कार्यकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार और झूठे केस आम हो गए हैं. हम इसकी भरपूर निंदा करते हैं.
- विश्वविद्यालयों में गुंडागर्दी पर लगाम लगे, वहां अभिव्यक्ति की आजादी हो और वहां हर तबक़े के छात्र शिक्षा पा सकें यह हमारा उद्देश्य है.
- हम जातिवाद, साम्प्रदायिकतावाद, पित्रसत्ता और रूढ़िवाद के ख़िलाफ़ एक जुट हैं. जो तंत्र महिलाओं का शोषण करे हम उस तंत्र को ख़त्म करने के संकल्प को दोहराते हैं.
- दलितों पर शोषण के सबसे कठोर रूप – मैला ढोने का काम – के प्रचलन को पूरे तौर पर ख़त्म करवाना हम सब की ज़िम्मेदारी है.
- महिलाओं के लिए रोज़गार सिकुड़ते जा रहे हैं – न रोज़गार, न समान काम का समान वेतन, न मातृत्व लाभ, न कार्यस्थल पर बच्चों की देखरेख के लिए क्रेश. महिलायें जिद्दोजेह्द कर रही हैं कि रोज़गार के अवसर बढ़ें और सुविधाएँ भी मिलें.
- हाल ही में हुई अंधाधुन्द नोटबंदी की हम आलोचना करते हैं. कामकाजी महिलाओं, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों और और छोटे दुकानदारों पर इसका गहरा असर पड़ा है. समस्त जनता से हमारा आह्वान है कि इस की वजह से उन्हें जिन मुश्किलात का सामना करना पड़ा है, उसका प्रतिरोध करें.
- महिलाओं व बच्चियों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि स्वास्थ्य-सुविधाएँ लागू हों.
- कन्या स्कूल पर्याप्त संख्या में हों; कन्या स्कूलों की स्थिति में सुधार हो ताकि स्कूलों में ड्रॉप आउट को रोका जा सके.
- हर समुदाय की महिलाओं को कानून में बराबरी का दर्जा मिले इसके लिए हमारी कोशिश जारी है.
हालात खुशगवार तो नहीं फिर भी इन्साफ और समानता के लिए एकजुटता के साथ हमारे संयुक्त संघर्षों की विरासत हमें हौसला देती है. इसलिए, आईये हम सब एकजुट होकर महिलाओं की जिद्दोजेह्द का अटूट हिस्सा बन जाएँ.
क्या ज़ुल्मतों के दौर में भी गीत गाये जायेंगे?
हाँ, ज़ुल्मतों के दौर के ही गीत गाये जायेंगे!
महिला एकता जिंदाबाद!
हमारा संघर्ष जिंदाबाद!!