यौन अधिकार की राजनीति में विरोधियों के आधार
यौनिकता और यौन स्वास्थ्य के काम का समर्थन करने के लिए मानव अधिकारों के इस्तेमाल को अक्सर नैतिकता या संस्कृति का अपमान कहते हुए विरोध किया जाता रहा है|
मानव अधिकारों के रूप में ‘यौन अधिकार’
नौ नियमों ने यौन अधिकारों और यौन स्वास्थ्य के समर्थक अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मानव अधिकार कानून के मौजूदा निकाय के विकास में विशेष भूमिका निभाई है|
क्या है ‘यौनिकता’ और इसकी खासियत ? – आइये जाने
यौनिकता सिर्फ सिर्फ शारीरिक प्रक्रिया नहीं बल्कि एक राजनीतिक संघर्ष है| वैसे तो यौनिकता में सेक्स शामिल है, पर इसका दायरा सेक्स से कहीं ज्यादा बड़ा है|
इन छह उपायों से सुरक्षित होगा गर्भ समापन
असुरक्षित गर्भ समापन प्रक्रियाओं, बाधक गर्भ समापन कानून और गर्भ समापन के कारण ऊंची मृत्यु और अस्वस्थता दरें यह सभी एक दूसरे को बढ़ावा देते हैं| आइये जानते है कि किन छह प्रमुख उपायों से गर्भ समापन को सुरक्षित किया जा सकता है|
भारत में गर्भ समापन का प्रगतिशील कानून और सरोकार की चुनौतियाँ
चिकित्सीय गर्भ समापन अधिनियम, संसद द्वारा 1971 में पारित कर भारत के सभी राज्यों में गर्भ समापन को क़ानूनी मान्यता दी गयी|
भारत में सुरक्षित गर्भ समापन करवाना आज भी एक चुनौती है
भारत में सुरक्षित गर्भ समापन आज भी एक बड़ी चुनौती है| गौरतलब है कि ये कोई वक्तव्य की बजाय हमारे समाज की कड़वी सच्चाई है जो सीधेतौर पर पितृसत्ता की महिला विरोधी संस्कृति का हिस्सा है और इसे बदलना बेहद ज़रूरी है|
महिला-अधिकार का अहम हिस्सा है गर्भ समापन
गर्भ समापन महिलाओं के यौनिक-प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकार का एक अभिन्न अंग है| ये महिलाओं के अपने शरीर पर नियन्त्रण और खुद के लिए निर्णय लेने की क्षमता है|
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